घूसकांड में दोषी पाए गए IPS अनिरुद्ध सिंह, रिश्वत मांगने का वीडियो हुआ था वायरल
IPS Anirudh Singh
IPS Anirudh Singh: स्कूल संचालक से लाखों रुपए की घूस वसूलने का वायरल वीडियो से बदनाम यूपी के आईपीएस अधिकारी अनिरुद्ध सिंह की बुरी तरह से फंस चुके हैं. वाराणसी पुलिस कमिश्नर की ओर से की गई जांच में अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ रिश्वत वसूलने के आरोप सिद्ध हो चुके हैं. फिलहाल अब विभागीय जांच की बात कही गई है. अगर विभागीय जांच में दोष सिद्ध साबित हो गए तो अनिरुद्ध सिंह के ऊपर बर्खास्तगी तक की तलवार लटकी हुई नजर आ रही है.
फिलहाल इस जांच रिपोर्ट के बाद राज्य पुलिस मुख्यालय में भी हड़कंप मचा है. क्योंकि रिश्वतखोरी जैसे शर्मनाक मामले में सूबे में आईपीएस स्तर का कोई अफसर लंबे समय बाद धरा गया है. अब शासन इस मामले में विभागीय जांच कमेटी गठित करने के लिए माथापच्ची में जुटा है. यह वही बदनाम आईपीएस अफसर अनिरुद्ध सिंह हैं जो मेरठ सीबीसीआईडी में तैनाती के दौरान वायरल हुए रिश्वतखोरी-वसूली के वीडियो से चर्चा में आ गए थे.
वायरल वीडियो पुराना बताया जा रहा (Viral video being told old)
हालांकि, वायरल वीडियो पुराना बताया गया था. मगर उस वीडियो में जिस तरह से अनिरुद्ध सिंह वसूली-रंगदारी की खुद ही ‘डील’ करते दिखाई दिए थे, उसने न केवल यूपी पुलिस महकमे की इज्जत दांव पर लगा दी, अपितु देश का आईपीएस लॉबी भी अनिरुद्ध सिंह के उस शर्मनाक कांड पर खुद को शर्मिंदा महसूस कर रही थी. रिश्वत वसूली की डील करने का वो वायरल वीडियो तब का बताया जा रहा था जब, खाकी वर्दी का बदनाम नाम अनिरुद्ध सिंह वाराणसी में तैनात थे.
एक स्कूल संचालक से लाखों रुपए ‘रंगदारी’ की डील करते हुए वायरल वी़डियो के बारे में पता चला कि. वो वीडियो अनिरुद्ध सिंह की वाराणसी की पोस्टिंग के दौरान का ही था, उस घटना के संज्ञान में आते ही यूपी के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ ने सूबे के पुलिस मुखिया याना तत्कालीन डीजीपी आईपीएस (अब रिटायर्ड) डीएस चौहान को तलब करके रिपोर्ट मांग ली थी. मुख्यमंत्री को बीच में आया देखकर राज्य पुलिस मुखिया के हाथ पांव फूल गए. लिहाजा उन्होंने आनन-फानन में मामले की जांच वाराणसी कमिश्नर के हवाले कर दी.
जांच में आरोप सही पाए गए (Allegations found true in investigation)
वाराणसी के कमिश्नर की रिपोर्ट जब इस मामले में राज्य पुलिस महानिदेशालय पहुंची तो वहां फिर हड़कंप मच गया. क्योंकि वायरल वीडियो में बदनाम आईपीएस अनिरुद्ध सिंह द्वारा लाखों रुपए रिश्वत मांगने की बात अब वाराणसी कमिश्नर की जांच में सही साबित हो गई है. यहां बताना जरूरी है कि इन्हीं खुराफाती दिमाग और इस कदर के बदनाम आईपीएस अधिकारी अनिरुद्ध सिंह की बीवी आईपीएस आरती सिंह, भी वाराणसी पोस्टिंग के दौरान बुरी तरह से चर्चाओं में रही थीं. उनके ऊपर आरोप लगा था कि वे जिस मकान में किराए पर रह रही थीं, उसका किराया तक भरने को राजी नहीं थीं. हालांकि महकमे ने उनकी हरकतों के सामने आते ही उन्हें भी वाराणसी से हटाकर, कानपुर में तैनात कर डाला था.
यूपी राज्य पुलिस महानिदेशालय सूत्रों के मुताबिक, रिश्वतखोरी के यह वायरल वीडियो बनाए जाने के वक्त अनिरुद्ध सिंह वाराणसी में चेतगंज सर्किल (सब डिवीजन के) के एएसपी हुआ करते थे. उसी दौरान सनबीम स्कूल से संबंधित रेप का एक मामला दर्ज किया गया था. उसी मामले में कुछ लोगो को बचाने के लिए यह बदनाम अफसर लाखों रुपए की ‘सेवा मनी’ वसूलने की जुगत में था. हालांकि वो मामला जब शुरूआती दौर में उठा और जांच हुई तो इसी अनिरुद्ध सिंह को जांच में ब-इज्जत बरी कर दिया. बदकिस्मती से वही वीडियो जब दुबारा वायरल हुआ तो, आरोपी आईपीएस बुरी तरह से महकमे की जांच के शिकंजे में फंस गया.
20 लाख की डील का आरोप (20 lakh deal allegation)
वायरल वीडियो में यही बदनाम आईपीएस स्कूल संचालक से 20 लाख की डील में मशरूफ दिखाई पड़ रहा था. इस बारे में टीवी9 ने शुक्रवार को बात की 1998 बैच यूपी कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी और रिटायर्ड आईजी इंटेलीजेंस (यूपी पुलिस) आर के चतुर्वेदी से. उन्होंने कहा, “यह कांड न केवल किसी पुलिस अफसर या व्यक्ति विशेष की बदनामी वाला है. इस शर्मनाक कांड ने आईपीएस समाज और यूपी पुलिस महकमे का भी सिर झुकवा दिया है. वाराणसी कमिश्नर ने अगर अपनी रिपोर्ट में दोषी साबित कर दिया है. तो समझिए कि अब इस मामले की उन्होने विभागीय जांच कराए जाने की सिफारिश भी शर्तिया की होगी अपनी रिपोर्ट में.”
क्या आरोपी आईपीएस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है? पूछने पर आर के चतुर्वेदी ने कहा, “नहीं…आप गिरफ्तारी की बात कर रहे हैं. अगर कायदे से यूपी शासन ने विभागीय जांच ही करवा ली. और यह साहब (रिश्वत वसूली के आरोपी आईपीएस अनिरुद्ध सिंह) विभागीय जांच में दोषी साबित हो गए, तो नौबत इनकी बर्खास्तगी तक की आ सकती है. बाकी सजा के बतौर इनकी नौकरी कम कर दिया जाना, पदावनत (डिमोशन) करना, या फिर सेलरी काट देना, करेक्टर रोल में इस कांड की इंट्री आदि तो, यह सब करना तो पुलिस महकमे के रोजमर्रा के काम होंगे इस मामले में.”
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